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अध्याय – 1 संबंध एवं फलन (Relation and Functions) Studies

Table of Contents

भूमिका (Introduction)

संबंध एवं फलन (Relation and function), प्रांत, सहप्रांत तथा परिसर आदि को अवधारणाओं का, विभिन्न प्रकार के वास्तविक मानीय फलनों और उनके आलेखों सहित परिचय कराया जा चुका है। गणित (math) में शब्द “संबंध (Relation)” की सकंल्पना को अंग्रेजी भाषा में इस शब्द के अर्थ से लिया गया है, जिसके अनुसार दो वस्तुएँ परस्पर संबंधित होती है, यदि उनके बीच एक अभिज्ञेय (Recognisable) कड़ी हो।

मान लीजिए कि A, किसी स्कूल की कक्षा XII के विद्यार्थियों का समुच्चय है तथा B उसी स्कूल की कक्षा XI के विद्यार्थियों का समुच्चय हैं।

उदाहरण :

  1. { (a, b) ∈ A × B: a, b का भाई है }
  2. { (a, b) ∈ A × B: a, b की बहन है }
  3. { (a, b) ∈ A × B: a की आयु b की आयु से अधिक है }
  4. { (a, b) ∈ A × B: पिछली अंतिम परिक्षा में a द्वारा प्राप्त पूर्णांक b द्वारा प्राप्त पूर्णांक से कम है }

(a, b) ∈ R

यदि (a, b) ∈ R को संबंध R के अंतर्गत a, b से संबंधित है और a R b लिखते है।

यदि (a, b) R, तो हम इस बात की चिंता नहीं करते हैं कि a तथा b के बीच कोई अभिज्ञेय कड़ी है अथवा नहीं है।

विभिन्न प्रकार के संबंध (Some Particular Types of Relations)

  1. रिक्त सम्बन्ध (Empty Relation or Void Relation) : समुच्चय (Set) A में, यदि A का कोई भी अवयव (element) A के किसी भी अवयव से संबंधित नहीं है।
  2. सार्वत्रिक सम्बन्ध (Universal Relation) : समुच्चय (Set) A में, यदि A का प्रत्येक अवयव A के सभी अवयवों से संबंधित है।
  3. स्वतुल्य सम्बन्ध (Reflexive Relation) : ∀ a ∈ A, aRa
  4. सममित सम्बन्ध (Symmetric Relation) : ∀ a, b ∈ A, ( aRb ⇒ bRa )
  5. संक्रामक सम्बन्ध (Transitive Relation) : ∀ a, b, c ∈ A, ( aRb ∧ bRc ) ⇒ aRc
  6. तुल्यता सम्बन्ध (Equivelance Relation) : A में, संबंध R, जो स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है, तुल्यता संबंध है।

रिक्त सम्बन्ध (Empty Relation)

यदि समुच्चय A का कोई भी अवयव A के. किसी भी अवयव से सम्बन्धित न हो तो समुच्चय A के उस सम्बन्ध को A का रिक्त सम्बन्ध कहते है।

अर्थात,

R = ∅ ⊂ A × B

जैसे : मान लीजिए A = {1, 2, 3, 4, 5} ओर पर इस प्रकार हैं। R= ((a, b) : a – b = 20) कोई भी युग्म (a, b) इस सम्बन्ध को संतुष्ट नहीं करता अतः यह एक रिक्त सम्बन्ध है।

सार्वत्रिक सम्बन्ध (Universal Relation)

यदि समुच्चय A का प्रत्येक अवयव A के सभी अवयवों से सम्बन्धित हो तो वह सम्बन्ध समुच्चय A का सार्वत्रिक सम्बन्ध कहलाता है।

अर्थात

R= A × A

रिक्त संबंध तथा सार्वत्रिक संबंध को कभी-कभी तुच्छ (trivial) संबंध भी कहते हैं।

स्वतुल्य सम्बन्ध (Reflexive Relation)

यदि समुच्चय A का प्रत्येक अवयव स्वंय से R द्वारा सम्बद्ध हो ऐसे सम्बन्ध R को स्वतुल्य कहते है।

अर्थात,

(a, a) ∈ R ∀ a ∈ A

सम्बन्ध R स्वतुल्य है यदि (a, a) ∈ R प्रत्येक अवयव a ∈ A के लिए

जैसे : किसी समतल में खीची गई रेखाओं के समुच्चय में सम्बन्ध समान्तर है स्वतुल्य है क्योकि प्रत्येक रेखा स्वयं के समान्तर है।

सममित सम्बन्ध (Symmetric Relation)

(a, b) ∈ R का अर्थ है (b, a) ∈ R सभी a, b ∈ A के लिए।

अर्थात,

(a, b) ∈ R ⇒ (b, a) ∈ R ∀ a, b ∈ A

इसका अभिप्राय है जो सम्बन्ध a ओर b के बीच में हैं यदि वही सम्बन्ध b और a के बीच में हो तो उस सम्बन्ध को सममित सम्बन्ध कहते है।


जैसे : यदि A = {1, 2, 3} और R = {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (2, 1), (2, 3), (3, 1), (3, 2)} सममित सम्बन्ध है क्योकि

  • (1, 1) ∈ R => (1, 1) ∈ R
  • (1, 2) ∈ R => (2, 1) ∈ R
  • (1, 3) ∈ R => (3, 1) ∈ R
  • (2, 3) ∈ R => (3, 2) ∈ R

संक्रामक सम्बन्ध (Transitive Relation)

समुच्चय A में सम्बन्ध R संक्रामक कहलाता है यदि (a, b) ∈ R तथा (b, c) ∈ R ⇒ (a, c) ∈ R, (a, b, c) के सभी मानों के लिए।

अर्थात,

(a, b) ∈ R, (b, c) ∈ R ⇒ (a, c) ∈ R ∀ a, b, c ∈ A

जैसे संख्याओं के समुच्चय में सम्बन्ध बराबर है एक संक्रामक सम्बन्ध है।

यदि x = y तथा y = z ⇒ x = z
इसी प्रकार यदि x || y , तथा y || z ⇒ x || z
समान्तर रेखाओं कं समुच्चय में ‘समान्तर है‘ का सम्बन्ध संक्रामक है।

तुल्यता सम्बन्ध (Equivalence Relation)

वह सम्बन्ध जो स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक हो तुल्यता सम्बन्ध कहलाता है।

जैसे : मान लीजिए T एक समतल में त्रिभुजों का समुच्चय है जब कि सम्बन्ध R इस प्रकार है

R = { (T1, T2) : त्रिभुज T1 त्रिभुज T2 के समरूप है }

  1. यह सम्बन्ध स्वयं तुल्य है क्योंकि प्रतय्येेकक त्रिभुज अपने समरूप होती है।
  2. (T1, T2) ∈ R ⇒ T1, त्रिभुज T2 के समरूप है।
    (T2, T1) R ⇒ T2, त्रिभुज T1 के समरूप है।
    अतः R एक सममित सम्बन्ध है।
  3. (T1, T2) और (T2, T3) ⇒ R

इस का अर्थ है T त्रिभुज T, के समरूप है और T2 त्रिभुज T1 के समरूप है जिस का अर्थ है कि T1 त्रिभुज T3 के भी समरूप है।

इस प्रकार सम्बन्ध R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।
अतः यह एक तुल्यता सम्बन्ध है।

तुल्यता वर्ग (Equivalence class)

तुल्यता वर्ग [a] जिस में a अंतर्विष्ट है (Equivalence class [a] containing a) : यदि किसी स्वेच्छ समुच्चय X में कोई स्वेच्छ सम्बन्ध R दिया हो तो सम्बन्ध R समुच्चय X परस्पर असंयुक्त उपसमुच्चय Ai, मे विभाजित करता है जिसे X का विभाजन (Partition या Subdivision) कहते है। जो निम्न प्रतिबंधों को संतुष्ट करता है।

  1. i के सभी मान के लिए, A के सब अवयव एक दूसरे से सम्बन्धित हैं।
  2. Ai का कोई भी अवयव A के किसी भी अवयव से सम्बन्धित नहीं हैं i ≠ j
  3. ∪ Aj = X तथा Ai ∩ Aj = , i ≠ j उपसमुच्चय A तुल्यता वर्ग कहलाते है।


उदाहरण : मान लीजिए समुच्चय A = {p, q, r, s, t, a, i, o, u} तथा R = {(a, b) : a, b दोनों ही स्वर हैं या व्यंजन है

  1. R एक तुल्य सम्बन्ध हैं क्योकि
    समुच्चय A का प्रत्येक अवयव स्वर है या व्यंजन
    (a, a) ⇒ R स्वतुल्य है
  2. a, b दोनों ही अवयव स्वर है या व्यंजन
    (a, b) R ⇒ (b, a) R
  3. a, b, c तीनों ही अवयव स्वर हैं या व्यंजन है
    यदि (a, b) € R, ¢, ^) € R = (प्र, ८) > € र
    R संक्रामक सम्बन्ध है।
    ⇒ R एक तुल्यता सम्बन्ध है।
  1. अब हम जानते है कि p, q, r, s, t सभी व्यंजन है
    इसलिए समुच्चय (p, q, r, s, t ) के सभी अवयव एक दूसरे से सम्बन्धित हैं।
    a, i, o, u सभी स्वर है। समुच्चय (a, i, o, u) के सभी अवयव एक दूसरे से सम्बन्धित हैं
  2. परन्तु {p, q, r, s } कं अवयव {a, i, e, o, u} से सम्बन्धित नही हैं।
  3. {p, q, r, s, t} ∪ {a, e, i, o, u} = A और {p, q, r, s, t} ∩ {e, i, o, u} =

इस प्रकार {p, q, r, s, t} और {a, i, e, o, u} तुल्यता वर्ग है। जिनको क्रमश [p] और [q] से निरूपित किया जाता है।

फलन (Function)

विभिन्‍न प्रकार के फलन (Types of Function)

(i) अन्तःक्षेपी फलन (Into Mapping)

यदि फलन f : A -> B इस प्रकार हो कि समुच्चय A के प्रत्येक अवय का समुच्च B में f-प्रतिबिम्ब हो परन्तु B में कम से कम एक अवयव ऐसा हो जो A के किसी भी अवयव का f-प्रतिबिम्ब न हो। इस प्रकार के फलन को अन्त: क्षेपी (into mapping) फलन कहते है।

स्पष्ट है कि f(A) या {f(x)} ⊂ B ∀ x ∈ A

जैसे : f : R -> R एर इस प्रकार है कि f(x) = x2.

A में सभी अवयवों का जो धनात्मक या ऋणात्मक हों, B में प्रतिबिम्ब है। परन्तु B के ऋणात्मक अवयव f-प्रतिबिंब में किसी भी A के अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।

⇒ f यह फलन अन्तक्षेपी हे |

(ii) आच्छादक अथवा आच्छादी फलन (Onto or Surjective Mapping)

यदि फलन f : A -> B इस प्रकार है कि समुच्चय A के प्रत्येक अवयव का f-प्रतिबिम्ब B में तथा B का प्रत्येक अवयव समुच्चय A के किसी न किसी अवयव का f-प्रतिबिम्ब है।

इस दशा में f(A) = B

जैसे : यदि A = { 1, 2, 3 }, B = {a, b), फलन f : A -> B इस प्रकार परिभाषित किया गया है।

f : { (1, a), (2, b), (3, b) } यहां पर समुच्यच A का प्रत्येक अवयव 1, 2, 3 का B में f-प्रतिबिम्व है। इस प्रकार B का प्रत्येक अवयव A के किसी न किसी अवयव का f-प्रतिबिम्ब है।

⇒ f एक आच्छादक फलन है |

(iii) एकैकी फलन अथवा एकैक फलन (One-One Mapping or Injective Mapping)

यदि समुच्चय A के भिन्न-भिन्न अवयव समुच्चय B के भिन्न-भिन्न f-प्रतिबिम्ब हों तो फलन f : A -> B को एकैकी फलन कहते हैं यदि

f(x1) = f(x2) ⇒ x1 = x2 ∀ x ∈ A

(iv) एकैकी आच्छादक फलन अथवा एकैक आच्छादी फलन (One-One onto Mapping or Bijective Mapping)

यह फलन एकैकी भी है और आच्छादक भी है अर्थात फलन f : A -> B के प्रत्येक अवयव का A में भिन्न भिन्न प्रतिबिम्ब हो और B का प्रत्येक अवयव A के किसी एक अवयव का प्रतिबिम्ब हो तो ऐसे फलन को एकाकी आच्छादक फलन कहते हैं।

अतः फलन f : A -> B एकैकी आच्छादक फलन है तो

  1. f(x1) = f(x2) ⇒ x1 = x2 ∀ x ∈ A
  2. f का परिसर = B का सहप्रांत

(v) बहु-एक फलन (Many-one Mapping)

यदि फलन f : A -> B कि समुच्चय A के दो या दो से अधिक अवयवों का समुच्चय B में f-प्रतिबिम्ब एक हो तब उस फलन को बहु-एक या अनेकैकी कहते हैं।

=> f : A -> B बहु-एक फलन है यदि f(x1) = f(x2) => x1 = x2 या x1 = x2 => f(x2) = f(x2)

फलनों का संयोजन (Composition of Mapping)

यदि f : A -> B और g : B -> C दो फलन हों तो f और g के संयोजन को इस प्रकार परिभाषित करेंगे।

g o f : A -> C होगा जब (g o f)(x) = g(f(x)) x A

तत्समक फलन (Identity Mapping)

यदि A कोई समुच्चय है तथा फलन f : A -> A इस प्रकार है कि f(x) = x से परिभाषित है अर्थात समुच्चय A के प्रत्येक अवयव का प्रतिबिम्ब स्वयं अवयव हो तब इंस फलन तत्समक फलन कहते हैं। यह सदैव एकैकी तथा आच्छादक होता है।

व्युक्रमणीय फलन (Invertible Function)

इस फलन f : X -> Y को व्युत्क्रमणीय फलन कहा जाता है यदि एक फलन g : Y -> X का अस्तित्व है जो इस प्रकार है कि g ० f = Ix और f o g = I फलन g फलन f का व्युत्क्रम है।

संयोजक फलन का व्युत्क्रम (Inverse of Composite Function)

यदि f : X -> Y और g : Y -> X दो व्युत्क्रमणीय फलन है तो gof भी व्युत्क्रमणीय फलन इस प्रकार है कि

(g o f)-1 = f-1 o g-1

द्विआधारी संक्रियाएं (Binary Operation)

1. परिभाषा द्वि-आधारी सक्रिया (Definition of Binary Operation)

समुच्चय A पर द्विआधारी फलन * : A x A -> A है। * (a, b) को a * b से निरूपित करते हैं।

फलन * : R x R -> R पर ध्यान दें। * (a,b) = a+b, या a-b या ab द्विआधारी सक्रिया है। परन्तु * (a, b) = a/b द्विआधारी संक्रिया नहीं है। क्योंकि a/b, b = 0 पर परिभाषित नहीं है।

2. क्रमविनिमय द्वि-आधारी सक्रिया (Commutative Binary Operation)

एक अरिक्त समुच्चय A में द्वि-आधारी संक्रिया * क्रमविनिमेय कहलाती है यदि a * b = b * a, सभी a, b e A के लिए जैसे प्राकृत संख्याओं के समुच्चय में योग + तथा गुणन्‌, क्रमविनिमेय द्विआधारी क्रियाएं है क्योकि x + y = y + x, x . y = y . x

3. साहचर्य द्वि-आधारी संक्रिया (Associative Binary Operation)

समुच्चय A में द्विआघारी संक्रिया * साहचर्य द्विआघारी संक्रिया कहलाती है यदि

a * (b * c) = (a * b) * c सभी a, b, c A

जैसे प्राकृत संख्याओं के समुच्चय में योग ‘+’ ओर गुणन “.“ साहचर्य संक्रियाएं होती हैं, क्योकि

a + (b + c) = (a + b) + c, a . (b . c) = (a . b) . c

परन्तु + की संक्रिया साहचर्य नहीं है।

a / (b / c) = (a / b) / c

4. तत्समक अवयव (Identity Element)

मान लीजिए * : A x A -> A एक द्विआघारी संक्रिया है। यदि अवयव e € A, एक ऐसा अवयव है कि
a * e = e * a = a सभी a € A के लिए जैसे शून्य (0) द्विआघारी सक्रिया योग का तत्समक अवयव है क्योकि a + 0 = 0 + a = a

5. अवयव a का व्युत्क्रम (Inverse of an element a)

यदि * : A x A -> A एक द्विआघारी सक्रिया है जिस में e ८ A एक तत्समक अवयव है, तो एक अवयव a A,
द्विआघारी सक्रिया के सापेक्ष व्युक्रमणीय है यदि एक अवयव b A इस प्रकार उपस्थित है कि

a * b = e = b * a

अवयव b को अवयव a का व्युत्क्रम कहते है इसे a-1 से निरूपित करते हैं जैसे -a अवयव a का योग संक्रिया में प्रतिलोम है।